रविवार, 18 मार्च 2012

बीमारी ने किया परेशान

नमस्ते !

परसों श्याम को पाटिल मौसी ऑफिस में आयी. काफी तनाव में दिखाई दे रही थी ! मैंने उन्हें बाहरी दालन मे बैठने को कहा ! उस वक्त मै अन्य जातक के साथ कंसल्टंसी में बिजी था ! पंधरा मिनिट तक कंसल्टंसी चली ! बिच बिच में मै बाहर भी देख रहा था ! उस वक्त मौसी को मैंने बहुत बेचैन पाया !

जातक के बाहर जाते ही मौसी अन्दर आयी ! आतेही मैंने पूछा "काफी परेशान नजर आ रही हो मौसी क्या बात है ? खैरियत तो है न ?"


"तुम्हारे चाचा की वजह से परेशान हु ! उनके मुंह में  खाते वक्त जलन होती है ! थोडा भी तीखा नहीं खा सकते ! कुछ भी खाने से जलन होती है ! कोई घाव नहीं है मुहं में, छाले नहीं है ! स्किन स्पेशालिस्ट को भी दिखाया ! ट्रीटमेंट चल रही है ! लेकिन प्रॉब्लम वैसे की वैसे है !पिछले छे महीनोसे यह परेशानी है ! समज में नहीं आता की क्या हुवा है ! कही कोई और बड़ी बीमारी तो नहीं है न ? "

मैंने उनसे और कुछ भी न पूछते हुये टोकन की थैली सामने रख दी ! उन्होंने १०५ नंबर निकला ! पत्नीने पति के बारे में प्रश्न किया है इसलिए कुंडली को घुमाना (रोटेट)  पड़ता है ! सो मैंने किया ! यह प्रश्न कुंडली बाजु में दी है, आप उसपर क्लिक करके देख सकते है !

इस कुंडली में चन्द्रमा अष्टम भाव में कन्या राशी में है, और चन्द्र की कर्क राशी छटे भाव में ! चन्द्र की स्थिति देख कर ही पता चलता है की प्रश्न दिल से किया गया है और बीमारी से संबंधित  है !  

बहोत बार लोग प्रश्न करते है लेकिन ऊपर ऊपर ही रहते है, दिल से गहरायी से नहीं होते है ! अगर ऊपर ऊपर प्रश्न किया जाये तो उत्तर गलत आता है ! खैर ! छटे भाव का उप नक्षत्र स्वामी शनि अष्टम भाव में स्थित, व्ययेश और लग्नेश, शनि मंगल के नक्षत्र में और मंगल छटे भाव में, दशमेश और तृतीयेश है !

उप नक्षत्र स्वामी शनि कन्या राशी में है ! मतलब द्विस्वभाव वाली राशी में है ! इसका अर्थ यह हुवा की बीमारी की जाँच टिक से नहीं हुई है, दुबारा जाँच करनी पड़ेगी ! 

मंगल का छटे भाव में होना मतलब वेदनाये काफी तीव्र स्वरुप की होती है ! मंगल मज्जा तंतु , इनके जो विकार है उनका भी कारक  है ! क्या बीमारी हो सकती है ......? मै सोचने लगा ..... और .....?

एकही नाम दिमाग में आया ! अल्सर .. माउथ अल्सर !

मैंने मौसी को बोला "चिंता मत करो ! फिरसे चाचाजी की जाँच करनी पड़ेगी उन्हें माउथ अल्सर हुवा है !

मौसी ने पूछा " और तो कुछ नहीं है न ?"

"नहीं ! और यह अल्सर बहोत जल्द ठीक भी हो जायेगा !"

क्यूँ के पंचम का उप नक्षत्र स्वामी चन्द्र है और वह अष्टम भाव में है और चन्द्र की कर्क राशी छटे भाव में ! चन्द्र राहू के नक्षत्र में, राहू भाग्य में, राहू पर मंगल की दृष्टी, मंगल रवि के नक्षत्र में, रवि लाभ में एवं सप्तमेश है !   राहुका राशिस्वामीभी मंगल ही है , और लाभ स्थान का रवि बीमारी सौ प्रतिशत ठीक होगी ऐसा कह रहा है !

दुसरे दिन वह सब चाचाजी को लेकर डॉक्टर के पास गए! मौसी का लड़का सचिन और उसका दोस्त गणेश साथ में थे ! पूरी जाँच करने के बाद  जैसे ही डॉक्टर ने बताया  की माउथ अल्सर है और ये ठीक भी हो जायेगा तो सबको बड़ा आश्चर्य हुवा !

डॉक्टर ने क्या जाँच की और क्या नहीं यह जानकारी मुझे गणेशने बादमे आकर दी ! यह सुनकर मुझे आनंद हुवा और मन ही मन मैंने इस शास्त्र के जनक कै. के. एस. कृष्णमूर्ति को प्रणाम किया !

शुभं भवतु   

आपका
नानासाहेब

शनिवार, 17 मार्च 2012

राजा की आयेगी बारात ...

नमस्ते !

यह शादी ब्याह का मौसम है ! किसी को शादी को जाना है, किसी की शादी तय हुई है ! किसी को लडकेवाले देखने को आ रहे है ! कही पर लड़की देखने जाना है ! हर तरफ इस प्रकार की खुशिया है ! लेकिन इस भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी है जो खुश नहीं है ! कही पर लड़की की  शादी तय नहीं  हो पा  रही है तो कही पर लड़के की शादी में रूकावटे आ रही है ! उनके दोस्त नाराज है, रिश्तेदार, माँ बाप का सुख चैन चला गया है ! और ऐसे बुरे वक्त पर याद आती है ज्योतिषी की, पंडित की ! बाकि पुरे समय जो लोग ज्योतिष में विश्वास नहीं रखते वो लोग भी उनके चौखट पर आते है !  खैर ! यहाँ पर मै ज्योतिष विवाद पर नहीं लिख रहा हूँ ! यह तो काफी पुरातन विवाद है ! ज्योतिष में विश्वास रखे या नहीं !

ऐसाही एक जातक (Client) नोवेम्बर २०११ में मेरे ऑफिस में आया ! वह उसकी भांजी की कुंडली लेकर आया था ! 2-3 साल  से वह शादी तय करने की कोशिश कर  रहे थे लेकिन अबतक उस लड़की की  शादी तय नहीं हुई थी ! क्या वजह थी इसकी ! आइये, इस वजह को तलाशते है और कब शादी होगी वह भी देखते है !

इस लड़की की जन्म कुंडली कृष्णमूर्ति पद्धति की है जो बाजु मी दी है आप  उसपर क्लिक करके देख सकते है. गोपनीयता की वजह से मैंने उस लड़की का नाम हटा दिया है.
इस कुंडली को १९९३ से रहू की महादशा थी ! वह दिसम्बर २०११ में ख़त्म होने वाली थी !

राहू - बुध, रवि , शनि के दृष्टी में है ! बुध, रवि छटे  भाव के बलवान कार्येश है ! शनि दशम भाव में, व्ययेश और लग्नेश है ! बुध शुक्र  के नक्षत्र में, शुक्र ४  ९ के  कार्येश, रवि और शनि केतु के नक्षत्र में, केतु ७, केतु का नक्षत्र स्वामी शुक्र है और वह रवि की राशी में. वैसे रवि सप्तम भाव का कमजोर कार्येश है  लेकिन पूरी महादशा ख़तम होने को आई शादी नहीं हुई इसका मतलब  रवि कुछ काम का नहीं है !

जनवरी से गुरु की महादशा शुरू हो रही है ! गुरु तृतीय भाव में, लाभेश और द्वितीयेश है ! गुरु चन्द्रमा के नक्षत्र में, चन्द्र सप्तम भाव और छटे भाव का कार्येश है ! चन्द्र छटे भाव से जादा सप्तम भाव का बलवान कार्येश है ! इसलिए इस महादशा में शादी जरुर होगी ! पहली अंतर्दशा गुरुकिही   है !

कुलमिलाके इस कुंडली का सुक्ष्म निरिक्षण करने के बाद मैंने उस जातक को कहा की ' इस लड़की की शादी दिसम्बर के बाद ४ मार्च से पहले तय हो  जाएगी !

इसके बाद दिसम्बर गया, जनवरी, फरवरी और २ मार्च को वही आदमी मेरे  ऑफिस में सुबह सुबह आया और बोला "जैसे आपने बताया था वैसे ही हुआ, मेरी भांजी की शादी १ मार्च को तय हुई. इसी बात को बताने के लिए मै आया हूँ ! धन्यवाद् !

शुभं भवतु !

आपका 
नानासाहेब

शुक्रवार, 16 मार्च 2012

मंगल दोष क्यों माना जाता है ?


नवग्रहों में सिर्फ मंगल का ही दोष क्यूँ माना जाता है ?  बाकि ग्रहों का दोष क्यूँ नहीं माना जाता ? क्योंकी मंगल पाप गृह है ! अग्नि प्रकृति का है, जल्द परिणाम करनेवाला है, अविचारी है,  दम्पत्तिक जीवन में बाधा डालने वाला है !

यह मंगल अगर जन्म कुंडली में १  ४  ७  ८  १२ में से है तो मंगल दोष माना जाता है या मंगली पत्रिका समाजी जाती है !


शनि भी पाप  ग्रह  है ! लेकिन वह अकस्मित या एकाएक हानी नहीं करता. वह योजनाबद्ध तरीके से वाट लगाता  है !


इसी पांच भावो में मंगल दोष क्यों ? साधारण और कड़क मंगल कब समजा जाता है ?

जिस भाव में मंगल विराजमान होता है उससे जादा परिणाम जहा उसकी दृष्टी होती है वहा करता है !
अगर मंगल लग्न घर में या 1st house में है या लग्न में है तो उसकी दृष्टी सप्तम पर मतलब विवाह स्थान पर होती है.

जातक का स्वभाव गरम मिजाज का होता है ! मंगल की दृष्टी चौथे स्थान पर होती है ! जहासे सरे प्रकारके सुख देखे जाते है ! मंगल सारे प्रकारके सुखोकी हानि करता है ! महिलावो के जीवन में विवाह का सुख कारक ग्रह मंगल है ! इसलिए यह मंगल महिलावो के लिए दुःख कारन बन जाता है !  पुरुषोसे जादा महिलोको पीड़ा पहुंचाता है !


पुरुषोके के कुंडली में मंगल अगर सप्तम भाव में है तो पत्नी झगडालू  किस्म की मिलाती है !
अष्टम भाव में मंगल है तो अचानक मृत्यु , इनकी आयु जादा नहीं होती ! घातपात, अपघात, घर से दूर रहना इस तरहके दुखो से उनको गुजरना पड़ता है !

बारवे घर में अगर मंगल है तो उसकी आठवी दृष्टी सप्तम स्थान पर होती है ! यह बहुत अशुभ है ! विवाह बाह्य सम्बन्ध होते है ! इसलिए मंगल दोष माना गया है ! अमेरिका, इंगलैंड इन देशो में  इस तरहके सम्बन्ध चलते है ! लेकिन अपने देश में यह खून खराबे वाली बात हो जाती है !


अगर मंगल १  ८  १०  ४  ३  ६ राशी का है तो वह सौम्य होता है ! इसका दोष कम हटो है ! मेष और वृचिक राशी मंगल की खुदकी राशी है !. मकर राशी उसकी उच्च राशी है,  इसका दोष नहीं माना जाता !  मंगल अगर शत्रु राशी  ३  ६  में है तो भी मंगल दोष नहीं होता ! अगर मंगल नीच राशिमे है तो वह बलहीन होता है ! उदा. कर्क राशी ! अगर मंगल सूर्य के पास है तो भी यह दोष नहीं माना जाता !


अपने जीवन में २०-५० या दम्पतिक जीवन के वर्ष मने जाते है ! इस दरम्यान अगर मंगल की दशा आने वाली हो तो यह भयंकर दोष माना जाता है ! जातक किसी काम का नहीं रहता ! दम्पतिक जीवन तबाह होके रह जाता है !

सप्तमेश मंगल अष्टम में या अष्टमेश मंगल सप्तम भाव में अगर विराजमान हो तो यह महादोष होता है ! विधवा होने की संभावना जादा होती है !


मंगल की कुंडली में अगर गुरु ६  ८  १२ में है तो उसको गुरु का बल नहीं मिलाता ! ऐसी अवस्था में पूरी जिंदगी बर्बाद होके रह जाती है !


शुभं भवतु !


आपला
नानासाहेब