शुक्रवार, 16 मार्च 2012

मंगल दोष क्यों माना जाता है ?


नवग्रहों में सिर्फ मंगल का ही दोष क्यूँ माना जाता है ?  बाकि ग्रहों का दोष क्यूँ नहीं माना जाता ? क्योंकी मंगल पाप गृह है ! अग्नि प्रकृति का है, जल्द परिणाम करनेवाला है, अविचारी है,  दम्पत्तिक जीवन में बाधा डालने वाला है !

यह मंगल अगर जन्म कुंडली में १  ४  ७  ८  १२ में से है तो मंगल दोष माना जाता है या मंगली पत्रिका समाजी जाती है !


शनि भी पाप  ग्रह  है ! लेकिन वह अकस्मित या एकाएक हानी नहीं करता. वह योजनाबद्ध तरीके से वाट लगाता  है !


इसी पांच भावो में मंगल दोष क्यों ? साधारण और कड़क मंगल कब समजा जाता है ?

जिस भाव में मंगल विराजमान होता है उससे जादा परिणाम जहा उसकी दृष्टी होती है वहा करता है !
अगर मंगल लग्न घर में या 1st house में है या लग्न में है तो उसकी दृष्टी सप्तम पर मतलब विवाह स्थान पर होती है.

जातक का स्वभाव गरम मिजाज का होता है ! मंगल की दृष्टी चौथे स्थान पर होती है ! जहासे सरे प्रकारके सुख देखे जाते है ! मंगल सारे प्रकारके सुखोकी हानि करता है ! महिलावो के जीवन में विवाह का सुख कारक ग्रह मंगल है ! इसलिए यह मंगल महिलावो के लिए दुःख कारन बन जाता है !  पुरुषोसे जादा महिलोको पीड़ा पहुंचाता है !


पुरुषोके के कुंडली में मंगल अगर सप्तम भाव में है तो पत्नी झगडालू  किस्म की मिलाती है !
अष्टम भाव में मंगल है तो अचानक मृत्यु , इनकी आयु जादा नहीं होती ! घातपात, अपघात, घर से दूर रहना इस तरहके दुखो से उनको गुजरना पड़ता है !

बारवे घर में अगर मंगल है तो उसकी आठवी दृष्टी सप्तम स्थान पर होती है ! यह बहुत अशुभ है ! विवाह बाह्य सम्बन्ध होते है ! इसलिए मंगल दोष माना गया है ! अमेरिका, इंगलैंड इन देशो में  इस तरहके सम्बन्ध चलते है ! लेकिन अपने देश में यह खून खराबे वाली बात हो जाती है !


अगर मंगल १  ८  १०  ४  ३  ६ राशी का है तो वह सौम्य होता है ! इसका दोष कम हटो है ! मेष और वृचिक राशी मंगल की खुदकी राशी है !. मकर राशी उसकी उच्च राशी है,  इसका दोष नहीं माना जाता !  मंगल अगर शत्रु राशी  ३  ६  में है तो भी मंगल दोष नहीं होता ! अगर मंगल नीच राशिमे है तो वह बलहीन होता है ! उदा. कर्क राशी ! अगर मंगल सूर्य के पास है तो भी यह दोष नहीं माना जाता !


अपने जीवन में २०-५० या दम्पतिक जीवन के वर्ष मने जाते है ! इस दरम्यान अगर मंगल की दशा आने वाली हो तो यह भयंकर दोष माना जाता है ! जातक किसी काम का नहीं रहता ! दम्पतिक जीवन तबाह होके रह जाता है !

सप्तमेश मंगल अष्टम में या अष्टमेश मंगल सप्तम भाव में अगर विराजमान हो तो यह महादोष होता है ! विधवा होने की संभावना जादा होती है !


मंगल की कुंडली में अगर गुरु ६  ८  १२ में है तो उसको गुरु का बल नहीं मिलाता ! ऐसी अवस्था में पूरी जिंदगी बर्बाद होके रह जाती है !


शुभं भवतु !


आपला
नानासाहेब

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